HIV के केस में बिहार तीसरे नंबर पर, इसके पीछे की वजह आपको चौंका देगी

नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन द्वारा 2017 में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, बिहार में (HIV Cases In Bihar) PLHIV यानी एड्स के साथ रहनेवाले लोगो में युवाओं की संख्या ज्यादा है। डॉ. रेड्डी ने बताया कि HIV के नए मामलों मे ऐसे लोग ज्यादा है जो नसों में लगने वाली दवाओं का उपयोग करते हैं या फिर समलैंगिक संबंध या पुरुष का पुरुष के साथ संभोग MSM में दिलचस्पी रखते है। डॉ. रेड्डी ने कहा कि फीमेल सेक्स वर्कर्स में संक्रमण का चलन अब MSM में बदल गया है।

कोरोना के कारण डेडलाइन आगे खींची- इस मामले में ट्रक ड्राइवर्स और माइग्रेंट वर्कर्स HIV के संपर्क में आने वाले सबसे कमजोर वर्ग थे। हालांकि, बिहार में PLHIV का इंफेक्शन रेट (0.17%) राष्ट्रीय औसत (hiv cases in india) (0.22%) से बेहतर है। जो 2030 तक सार्वजनिक स्तर पर बीमारी को खत्म करने की ओर बढ रहा है। स्वास्थ्य अधिकारीओं का कहना है कि कोविड-19 की महामारी ने इस डेडलाइन को लगभग 5 साल आगे बढा दिया है।

HIV/एड्स के मामलों में लगातार कमी-2020-21 के दौरान 5,77,103 लोगों में HIV टेस्ट किया गया था, जिसमें से 1.16 प्रतिशत (9,928) लोग HIV/एड्स पोजिटिव पाए गए थे। बिहार के HIV की जांच के वार्षिक आंकडे संकेत दे रहे हैं कि राज्य में HIV/एड्स के मामलों में लगातार कमी आ रही है। बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अंशुल अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2018-19 में 6 लाख लोगों में से 1.83 प्रतिशत लोगों की (11,000) रिपोर्ट पोजिटिव आई थी। जबकि 2021-22 में फरवरी तक 6,87,439 में सें 0.91 प्रतिशत (7,139) लोगों की रिपोर्ट पोजिटिव आई है।

HIV संक्रमण के मामले में बिहार तीसरे स्थान पर- आपको बता कि बिहार में हर साल HIV के तकरीबन 8 हजार मामले दर्ज किए जाते है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद HIV संक्रमण के मामले में बिहार तीसरे स्थान पर है। 2010 के बाद HIV इंफेक्शन रेट में 27 प्रतिशत कमी के बावजूद बिहार की ये स्थिति है।