700 साल बाद बन रहा अनोखा संयोग, जानें शिवरात्रि पर्व और चारों प्रहर की पूजा के बारे में

महाशिवरात्रि कल धूमधाम से मनाई जाएगी। भगवान शिव हिन्दू सभ्यता के संस्थापक आदिदेव महादेव हैं। हमारी सांस्कृतिक मान्यता के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवताओं में सर्वोच्च देवता शिव हैं। शिवरात्रि के दिन एक अनोखा संयोग बन रहा है, जिससे शिव पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा। ये संयोग 700 साल बाद बन रहा है, जब महाशिवरात्रि पर पंच महायोग बन रहा है। इसलिए पूजा के अलावा आज के दिन खरीदारी करना और नए काम शुरू करना भी शुभ रहेगा।

शिवरात्रि पर केदार, शंख, शश, ज्येष्ठ और सर्वार्थसिद्धि योग मिलकर पंच महायोग बनाते हैं। ऐसा संयोग पिछले 700 सालों में नहीं बना है। इस दिन में तेरहवीं और चौदहवीं दोनों तिथियां हैं। शास्त्रों में इस युति को शिव पूजा के लिए बेहद खास माना गया है। इन ग्रह योगों में नई शुरुआत और खरीदारी आपके लिए फायदेमंद रहेगी।

शिव महापुराण के अनुसार महा मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्यरात्रि को शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। उसके बाद, भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने पहली बार शिवलिंग की पूजा की, इसलिए महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

शिव महापुराण की रुद्रसंहिता में कहा गया है कि शिव-पार्वती विवाह अगहन मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था। यह तिथि आमतौर पर नवंबर-दिसंबर में पड़ती है, जो इस साल बुधवार, 29 नवंबर को पड़ेगी।

महाशिवरात्रि पर दिन-रात पूजा कर सकते हैं। स्कंद, शिव और लिंग पुराण कहते हैं कि जैसा कि त्योहार के नाम से पता चलता है, रात में शिव लिंग का अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है।

शिवरात्रि पर पूरे विधि विधान से शिव जी की पूजा करनी चाहिए। यदि आपके पास समय नहीं है या आप मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो आप कुछ आवश्यक वस्तुओं के साथ ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करके घर पर ही शिव पूजन कर सकते हैं। यह महापूजा के बराबर फल देती है।