हाल के दिनों मे विशेस रूप से इंटरनेट के आजाने से प्राकृतिक उपचार अधिक आसानी से घर बेठे उपलबथ तथा लोकप्रिय हो गए हे घरेलू उपचार के कई फायदे हे इसी कारण सदियों से हमारी दादी नानी के नुस्खों के रूप मे ये घरेलु एक पीढ़ी तक पहुचते रहे हे कुछ प्रमुख फायदे निम्रलिखित हे घरेलू उपचार के काम दुसप्रभाव हे
यदी हे भी तो बहुत हल्के हे कई बीमारियों मे घरेलु उपचार अधिक प्रभावी होते हे घरेलु उपचार मे उपयोग मे आनेवाली चीज यथा हल्दी ,अजवाइन ,लवंग ,लाईची,नींबू ,छोहड़ा, लहूसन, प्याज ,तुलसी ,फिटकिरी, सब्जी या आसनी से उपलबथ सामग्री का उपयोग किया जाता हे ….
होंठों पर कच्चा दूध लगाने से होंठों का कालापन दूर होता है। एक पाव दूध में आधा चम्मच सोंठ का चचूर्ण उबालकर 3-4 दिन तक सोते समय पीने से आंव समाप्त हो जाती है। 2चम्मच सौंफ चबाकर ऊपर से गरम पानी पीने से पेटदर्द व गैस में लाभ होता है।
कब्ज या अफारा होने पर 2 चम्मच अजवायन में आधा चम्मच काला नमक मिलाकर पानी के साथ लेने से शीघ्र लाभ होता है। नासूर होने पर मसूर की दाल पीसकर लगाने से लाभ होता है जी मिचलाने पर दो छोटी इलायची चूसने से शीघ्र लाभ होता है।मुंह में छाले होने पर टमाटर के रस में पानी मिलाकर कुल्ला करें।
केसर, मलाई व दारुहल्दी का लेप रातभर आंखों के नीचे लगाने से आंख के नीचे छाया कालापन दूर होता है ।100 ग्राम मेहंदी के पत्तों के रस में पावभर दूध मिलाकर प्रतिदिन पीने सेमूत्र और गुर्दे की तकलीफों से छुटकारा मिल जाता है
शरीर में यदि गांठ या उल्टा फोड़ा हो जाए तो मेहंदी के पत्ते महीनपीसकर उसकी पुल्टिस बांधने से शीघ्र लाभ होता है। कट जाने पर मिट्टी के तेल में कपड़ा भिगोकर बांधने से खून बहना तुरंत बंद हो जाता है। गरम दूध में हल्दी डालकर पीने से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है।गले में खराश होने पर गरम पानी में नमक या फिटकरी मिलाकर गरारेकरने से खराश ठीक हो जाती है।
नागरबेल का पान गरम करके स्तनों पर बांधने से उनका सूजन व दर्द दूर होकर दूध सरलता से उतर आता हे बच्चों को दस्त हो जाने पर ठंडे पानी में जायफल घिसकर सुबह-शाम दें। यदि बच्चा रात में बिस्तर में मूत्र करता है तो एक अखरोट की गिरी व किशमिश रात को सोने से पूर्व दस दिन तक खिलाएं।
या एक सूखा छुआरा प्रातः खाली पेट खिलाएं।हथेली और तलवों में जलन होने पर विपबिल का तेल लगाने से जल शांत होती है। 50 ग्राम भिंडी की जड़, 10 ग्राम मिश्री, इलायची व कालीमिर्च पांच-पांचग्राम पीसकर पीने से सुजाक व धातु रोग जाता रहता है। लड्डू या हलुआ में मेथीदाना पीसकर देने से ठंड लगे व्यक्ति को शीघ्र लाभ होता है।
तम्बाकू, अकरकरा, कालीमिर्च, फिटकरी व कपूर को महीन पीसकर प्रातः-सायं मंजन करने से हिलते हुए दांतों की जड़ें मजबूत होने लगती हे चौलाई को पकाकर घी के साथ खाने से बहुमूत्र रोग दूर हो जाता है। बच्चों की सांस चलने, पसली में दर्द होने पर पान पर सरसों का तेल लगाकर हल्का सुहाग गरम कर दर्द वाले स्थान पर बांधने से लाभ होता है।
ब्राह्मी के पत्ते महीन पीसकर सुबह-शाम चार-चार रत्ती दूध के साथ लेने से स्वप्नदोष व प्रमेह रोग ठीक होता है तथा मूत्र भी खुलकर आता है।
3 ग्राम कलौंजी पीसकर 1 ग्राम मक्खन में मिलाकर चाटने से हिचकी दूर हो जाती है। एक माशा खड़िया मिट्टी प्रातः सायं खाने से पित्त का निकलना रुकजाता है। 1 ग्राम नीला थोथा, 10 ग्राम शहद में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाक लार टपकाने से छाले तथा मुंह के घाव ठीक हो जाते हैं।
पानी में जरा-सा नौसादर मिलाकर दिन में 3 बार लेने से बलगमी खासी ठीक हो जाती है। चित्रक को पीसकर शुद्ध घी में मिलाकर दाद पर लगाने से पुराने-से-पदाद ठीक हो जाता है। आधा चम्मच धनिए का चूर्ण, मिश्री के साथ दिन में 3 बार लेने से पुराना जुकाम ठीक हो जाता हे