कोलकाता: किसी नाबालिग लड़की के पेंटी और अंडरगार्मेंट उतरना भी बलात्कार के समान माना जाएगा। मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने 16 साल पुराने मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया है। इसके साथ ही आरोपी को 3000 रुपए जुर्माने का निर्देश दिया है। 7 मई साल 2007 में दक्षिण दिनाजपुर के बालुरघाट जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले में रवि राय नाम के एक व्यक्ति को एक नाबालिग के खिलाफ यौन अपराध का दोषी पाया गया था। उसके खिलाफ आरोप है कि रवि ने सात मई 2007 को शाम साढ़े छह बजे के करीब नाबालिग लड़की को आइसक्रीम का लालच देकर घर के पास सूनसान जगह में ले गया। उसके कपड़े उतारकर दुष्कर्म की कोशिश की पर बच्ची की शोर से स्थानीय लोग आ गए व रवि को पकड़ लिया था।
दक्षिण दिनाजपुर के बालुरघाट जिल में 7 मई 2007 को रवि राय नाम का युवक शाम साढ़े छह बजे के करीब नाबालिग लड़की को आइसक्रीम का लालच देकर घर के पास सूनसान में ले गया। उसके कपड़े उतारकर दुष्कर्म की कोशिश की पर बच्ची की शोर से स्थानीय लोग आ गए व रवि को पकड़ लिया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी नाबालिग लड़की की पेंटी और अंडरगार्मेंट को जबरन उतरना दुष्कर्म के बराबर है, भले ही चिकित्सा शर्तो के अनुसार आरोपी या दोषी दुष्कर्म नहीं किया गया हो। जस्टिस अनन्या बंद्योपाध्याय की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने रवि राय को 2008 में पश्चिम दिनाजपुर जिले की एक निचली अदालत ने दोषी करार दिया था।
नवंबर 2008 में निचली अदालत ने रवि को दोषी करार देते हुए साढ़े पांच साल कैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही आरोपी उस पर 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जेल से छूटने के बाद रवि ने जिला अदालत के आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए दावा किया कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया था। जिससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। उसने दावा किया कि उसका इरादा पीड़िता के प्रति पिता जैसा स्नेह प्रकट करना था।
जस्टिस अनन्या ने हालांकि निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि लड़की को आइसक्रीम खिलाने का इरादा गलत था। उन्होंने कहा दोषी ने सिर्फ अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए पीड़िता को आइसक्रीम खिलाने का लालच दिया था। जब पीड़िता ने दोषी के कहे अनुसार अपने इनरवियर को खोलने से इनकार कर दिया, तो उसने जबरदस्ती इनरवियर उतार दिया। इसे स्नेह की अभिव्यक्ति नहीं माना जा सकता। यह दुष्कर्म के प्रयास के बराबर है। हालांकि मेडिकल जांच से साबित हुआ कि नाबालिग लड़की दुष्कर्म की शिकार नहीं हुई थी। जस्टिस ने कहा कि पूरी घटना भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत यौन अपराध के दुष्कर्म के बराबर है।