पुरानी खांसी, कफ, गले में खराश जैसी 50 से अधिक बीमारियों के लिए यह घरेलू उपाय बिना किसी खर्च के 100% कारगर है

काली मिर्च, मसालों में एक जाना पहचाना नाम है। संस्कृत में इसे रुधिर, पवित, यवनप्रिय, वल्लिज, कटुक वृतफल इत्यादि कहते हैं। यह लता रूपी पौधा है, जो भारतवर्ष में कर्नाटक, केरला, तमिलनाडु आदि दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में पैदा किया जाता है।

इस क्षेत्र के किसान इसकी लता के छोटे-छोटे टुकड़े करके बड़े वृक्षों की जड़ लगा देते हैं। फिर यह उन वृक्षों के सहारे उस पर फैलती जाती है। इस लता के पत्ते नागर बेल के पत्ते की तरह, मगर उससे बहुत छोटे होते हैं।

इसके फल बेल लगाने के तीन वर्ष बाद आते हैं। फल गुच्छों के आकार में लगते हैं, जो कच्चे हरे, पकने पर लाल और सूखने पर काले हो जाते हैं। काली मिर्च तीखी, चरपरी तथा स्वभाव से गरम व व्यवहार में वात कफ नाशक, दमा, शूल तथा पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली होती है।

दांतों की पीड़ा, यकृत और पेशियों के दर्द में, तिल्ली की बीमारी, जीर्ण ज्वर, पक्षाघात तथा मासिक धर्म में लाभप्रद होती है। काली मिर्च पांच दाने, सत्यनाशी के बीज 6 माशे-इन दोनों को पीसकर तीन दिन तक खिलाने से पागल कुत्ते के जहर में लाभ पहुंचाता है, मगर खटाई और तेल से साल भर तक परहेज करना चाहिए।

काली मिर्च को पीसकर दही और पुराने गुड़ के साथ देने से नाक से गिरने वाला खून बन्द हो जाता है।
काली मिर्च को दही के साथ घिसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी मिट जाती है। काली मिर्च को घी में पीसकर नाक में टपकाने से आधाशीशी में लाभ होता है काली मिर्च को शहद के साथ चटाने से सर्दी से होने वाली खांसी, दमा और सीने का दर्द मिटता है तथा कफ बाहर निकल आता है।

काली मिर्च को पोस्त दानों के साथ जोश देकर कुल्ला करने से दांतों का दर्द मिटता है। काली मिर्च दो माशे, जीरा एक माशा, शहद डेढ तोला इन सबको मिलाकर एक चाय के चम्मच के बराबर खुराक देने से बवासीर में लाभ होता है।

काली मिर्च एक रत्ती, हींग आधी रत्ती और अफीम पाव रत्ती- इन तीनों को मिलाकर देने से अतिसार में लाभ होता है। आहार में काली मिर्च का उपयोग करने से पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिल सकता है। काली मिर्च के औषधि गुण का असर सर्दी-खांसी पर सकारात्मक रूप से पड़ सकता है।

इसके इस्तेमाल से समस्या का निदान हो सकता है। इस संबंध में किए गए एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, काली मिर्च सर्दी-खांसी के लिए फोक मेडिसीन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐसा कहा जाता है कि इसमें पाइपरिन नामक कंपाउंड होता है, जो सर्दी-खांसी की समस्या से छुटकारा दिला सकता है।

साथ ही यह गले में खराश की समस्या का भी समाधान करने का काम कर सकता है इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि काली मिर्च खाने के फायदे सर्दी-खांसी से राहत के लिए हो सकते हैं।

यह साबित होता है कि काली मिर्च में एंटी-कैंसर गतिविधि पाई जाती है इस गुण के कारण काली मिर्च शरीर में कैंसर को पनपने से रोक सकती है काली मिर्च सिर्फ कैंसर से बचाने में मदद कर सकती है। इसे कैंसर का इलाज न समझें।

काली मिर्च का सेवन करने से इसका असर मुंह के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।इससे मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सकता है और मुंह के हाइजिन को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

अगर किसी के दांतों में दर्द है, तो लौंग के तेल में काली मिर्च पाउडर मिलाकर दांतों की मालिश करने से राहत मिल सकती है काली मिर्च खाने के फायदे वजन कम करने के लिए भी हो सकते हैं।