वैसे कलौंजी पोषकतत्वों का भंडार माना जाता हे, क्योंकि इसमें बहुत सारे ऐसे रसायन मौजूद हे जो एक या दूसरे तरीके से शरीर के स्वस्थ्य के लिए फायदेमंद होते हे। उनमें ओमेगा-३, ओमेगा-६, ओमेगा -९, कार्बोहाइड्रेट्स, निजेलोन, एवं थाइमोक्विनोन, प्रोटीन, लिपिड आदि होते हे।
जिसमें निजेलोन में एंटीहिस्टामिन गुण होता हे , जो दमा, खांसी, एवं ब्रॉंकइटिस जैसी बीमारियों में फायदा पोहचाती हे।इसके अलावा श्वास मार्ग की माँसपेशिओ को ढीला करती हे, साथ ही शरीर की इम्युनिटी बढ़ाती हे।
कलौंजी दुग्ध वर्धक एवं मूत्र वर्धक होती हे। खांसी, बुख़ार, सिरदर्द , लकवा, गंजापन जैसी परेशानियों में कलौंजी काफी फायदा करती हे।कलौंजी का तेल बालो को उगाने में मदद करती हे, साथ ही बालो को मजबूत एवं घना बनाता हे।
पीलिया, मोतिया बिंद और कान में अगर दर्द हो तो भी कलौंजी का सेवन करने से फायदा होता हे। कलौंजी का तेल सेवन करने से कैंसर से भी लड़ा जा सकता हे। खांसी व् दमा से छुटकारा पाने के लिए कलौंजी के तेल से मालिश करि जा सकती हे या फिर भाँप लेने में कलौंजी का तेल ऐड किया जा सकता हे।
कलोंजी में मिलने वाला रसायन थाइमोक्विनोन यकृत की कोशिकाओं को प्रोटेक्ट करता हे कुछ अनचाहे रसायणों के दुष्प्रभाव से। कलोंजी रक्त में मौजूद शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करती हे।
कई बीमारियों के दौरान होने वाली सूजन को कम करने का काम भी करती हे। शरीर में कई बार कुछ कीड़ों(कृमि ) का प्रमाण बढ़ जाता हे, तब कलौंजी का तेल विनेगर के साथ लेनेसे उससे छुटकारा मिलता हे।
कलौंजी, लहसुन एवं शहद से एच आई वि के रोग में भी फायदा होता हे। स्मरण शक्ति एवं मानसिक चेतना बढ़ने का भी काम करती हे। पुदीने के साथ इसको लेने से यह फायदा होता हे। स्त्री गुप्त रोग, पुरुष गुप्त रोग, दस्त, नेत्र रोग, सफ़ेद बालो की तकलीफ और रुसी में कलौंजी का तेल बहुत ही फायदेमंद रहता हे।