गाजर फल भी है और सब्जी भी। यह सम्पूर्ण भारत में पैदा की जाती है। इसकी फसल जाड़े की ऋतु में होती है। यह दिसम्बर से लेकर मार्च के अन्त तक खेतों से मिलती रहती है। उस पर मजे की बात यह कि यह एक सस्ती सब्जी है। कच्ची खाओ तो फल और सलाद और पकाकर खाओ तो तरकारी। गांव वालों के लिए तो यह एक ऐसी सब्जी है जिसके मुकाबले कोई दूसरी सब्जी ठहरती ही नहीं।
गाजर के कितने नाम:
गाजर के नाम राज्यों की भाषाओं के हिसाब से अलग-अलग पड़ गए हैं—जैसे—संस्कृत में गूंजन, हिन्दी में गाजर, मराठी में सेठी मोल, गुजराती में गाजर, तेलुगू में गृजन, अंग्रेजी में कैरेट (Carrot) तथा लैटिन में डाक्स कैरोटा कहा जाता है।
गाजर कितनी गुणवान और लाभकारी
आयुर्वेद के अनुसार गाजर मीठी, रस से भरी, कुछ तेज, पेट की अग्ति को बढ़ाने वाली, रक्तपित्त तथा कफ को नष्ट करने वाली और बवासीर को रोकने वाली है। यह मल को बांधती है और बवासीर को रोकने वाली है तथा प्याज के समान इसमें तेजी के गुण मौजूद हैं। पेट की बीमारियों के लिए गाजर को रामबाण माना गया है। यह अरुचि को दूर करके उदर की पाचनशक्ति को बढ़ाती है। चूंकि इसमें रक्त अवरोधक शक्ति है इसलिए यह रक्तपित्त को बनने नहीं देती। वैसे तो इसकी तासीर ठंडी है लेकिन यह कफनाशक भी है।
छाती तथा गले में जमा कफ पिघलाकर निकालने में यह लौंग और अदरक की तरह काम करती है। इसको खाने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है तथा वीर्य के विकार नष्ट होते हैं। यह हृदय से सम्बंधित बीमारियों के लिए बहुत लाभकारी है।
गाजर में कौनसे तत्व पाए जाते है?
गाजर में कैरोटीन, हाइड्रो-कैरोटीन, शर्करा, पैक्टीन, सेवाइल, लिग्निन, लवण, उड़ने वाला तेल तथा सिनोल जैसे तत्त्व भी पाए जाते हैं। विटामिन ‘ए’ से शरीर का विकास होता है तथा आंखों की ज्योति सही रहती है। विटामिन ‘ए’ की कमी से आंखों की बीमारियां हो जाती हैं। इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक शक्ति भी कम हो जाती है। विटामिन ‘सी’ से पाचन शक्ति ठीक रहती है।
गाजर में विटामिन ‘ए’ तथा ‘सी’ दोनों पाए जाते हैं। खोजों से पता चला है कि गाजर में विटामिन ‘ए’ गाय, भैंस तथा बकरी के दूध से 10 गुना अधिक होता है। जाड़े के मौसम में प्रत्येक मनुष्य को 100 ग्राम गाजर का प्रयोग प्रतिदिन करना चाहिए। यह पौष्टिक आहार भी है और शरीर को स्वस्थ रखने का उपहार भी। गाजर के रस में लिवर (जिगर) को स्वस्थ रखने के गुण पाए जाते हैं।
कब्ज तथा दस्तों की शिकायत में गाजर का प्रयोग:
अजीर्ण हो जाने की हालत में भूख नहीं लगती, खाना हजम नहीं होता, पेट फूलता रहता है, कब्ज तथा दस्तों की भी शिकायत हो जाती है। मुंह में पानी भर जाता है तथा हर समय पेट में मीठा-मीठा दर्द होता रहता है। बार-बार उल्टी करने की इच्छा होती है। पेट में गैस अधिक बनती है तथा खट्टी-खट्टी डकारें आती रहती हैं। इस रोग के उपचार में सुबह को आधा कप गाजर का रस जरा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें। गाजर का एक कप रस लेकर उसमें दो रत्ती भुनी हुई हींग, दो चुटकी सोंठ, दो चुटकी भुना हुआ जीरा तथा एक चुटकी हींग मिलाकर सेवन करें।