कई रोगों ने अक्सीर साबित हुई है यह औषध, सिर्फ़ चंद रुपए में हो जाएगा आपका दर्द दूर

नाक कान व गला शरीर के संवेदनशील अंगो में आते है। अगर इन अंगो के सम्बंधित कोई बीमारी हो जाए तो आदमी परेशान हो जाता है। इसलिए अगर आपको जब भी पता चले कि बीमारि की शरुआत हुई है तो तुरंत इस सम्बंधित घरेलू उपचार शुरू कर देना चाहिए। हमारे किचन में रखे हुए कई मसालों को हम दवाई के रूप में इस्तेमाल कर सकते है और इसके सम्बन्धीत सारी महिति हमारे पुराने आयुर्वेद के किताबों में दी हुई है। आज हम एसी ही एक चीज़ के बारे में बात करंगे जो हम खाने में हररोज़ इस्तेमाल करते है लेकिन उसके आयुर्वेदिक महत्व का शायद कई लोगों को पता नहीं होगा। जी हाँ हम बात करेंगे हल्दी कि।

बदलते मौसममें जुकाम और नाक से पानी बहना:

जुकाम चल रहा हो तो तीन दिन तक नाक जाने दें। क्योंकि विषैला द्रव शरीर से निकल जाना ही अच्छा है। उसके बाद सुलगता निर्धूम कण्डा (उपला) लेकर एक-एक चुटकी हल्दी डालिए और नाक से धुआं खींचिए । छींके आएं तो लाभ ही समझें। नाक से खींचना कठिन लगे तो मुंह से धुआं खींचिए । खांसी का ठसका आएगा मगर आप हल्दी-धूम्र के कश लगाते रहिए। इतने में नाक खुल जाएगी। उसके बाद अगली सुबह हल्दी का धूम्रपान कीजिए। खांसी और छींकों द्वारा विषैला द्रव निकलते ही जुकाम भी निकल भागेगा।

बंध नाक और खांसी हो जाना:

एक पाव पानी गर्म करके उसमें एक चम्मच हल्दी मिलाकर गरारा करें। इससे गला गर्म हो जाएगा। इस क्रिया को दस मिनट तक करें। जब गला गर्म हो जाए तो पानी का एक घूंट पी लें और नाक से बाहर निकालने का प्रयास करें। एक-दो बार प्रयास करने पर बन्द नाक खुल जाएगी। नाक से हवा को बाहर निकालें और मुंह से सांस लें। यदि पानी पेट में भी चला जाएगा तो कोई नुकसान नहीं। जब तक तक नाक पूरी तरह न साफ हो जाए, इस क्रिया को दिन में तीन बार दोहराएं। इस तरह आपकी नाक में जमा बलगम बाहर निकल जाएगा और जुकाम भी ठीक होगा। इस क्रिया को प्रातः काल और रात्रि को सोते समय करें तो ज्यादा लाभकारी होगा और शीघ्र फायदा करेगा।

मौसम जब बदलता है तब हर व्यक्ति थोड़ा-बहुत सर्दी-जुकाम से प्रभावित होता है। इसकी तुरन्त चिकित्सा करनी दो दाने काली मिर्च में एक चुटकी हल्दी मिलाकर घी के साथ लोशन बना लें। इसका छाती और गले पर लेप करें। हल्के हाथ से मालिश करने से हल्दी शरीर में जज्ब हो जाएगी और जमा हुआ बलगम भी ढीला पड़कर पिघल जाएगा, जो खांसी का मुख्य कारण है। युवक और बड़ी उम्र के व्यक्तियों को एक चम्मच हल्दी दूध में मिलाकर पिलाने से खांसी के रोग में विशेष लाभ होता है। हल्दी शरीर के अन्दर जाकर कफ कीटाणुओं को नष्ट करके खांसी को विशेष लाभ पहुंचाती है।

गले में बोलते समय ख़राश का अनुभव:

हल्दी की गांठ भुजबल (गर्म राख) में दबाकर भून लें और – पीसकर ढाई-ढाई या तीन-तीन ग्राम की पुड़िया बनाकर रख लें। सुबह खाना खाने के दस मिनट बाद शहद के चम्मच में एक पुड़िया घोल दें और एक-एक बूंद उंगली के पोर से चाटते रहें। रात को भी यही क्रिया दुहराएं। दो दिनों में ही खराश-खांसी भाग जाएगी।

कमजोर दांत में पीड़ा और सड़न:

तीन ग्राम हल्दी, तीन लौंग और तीन ही अमरूद के पत्ते लेकर ढाई सौ ग्राम पानी में डालकर उबालें, अच्छी तरह उबालने के बाद हल्के गर्म पानी का कुल्ला मुंह में भरकर दांतों की सिकाई करें। पन्द्रह मिनट तक बार-बार पानी मुंह में भरकर इधर-उधर दांतों पर घुमाते रहे। दांतों के दर्द को आशातीत लाभ होगा।

इसके अतिरिक्त एक हल्दी की गांठ को जलाकर राख बना लें तथा दांतों के नीचे रखकर दबाएं। दो मिनट तक दांतों से दबाने के बाद थूक दें शीघ्र ही दांतों के दर्द में आराम आ जाएगा।

दांत में बहुत अधिक दर्द हो और नींद न आवे तो हल्दी, अजवाइन तथा लौंग को बारीक पीस लें और टूटे हुए दांत पर रख दें। इसका रस निकलकर दांत अथवा दांतों से लगकर जब आप लार मुंह से बाहर थूकेंगे तभी दर्द बन्द हो जाएगा।

मुँह में छाले हो जाना:

कभी-कभी मुंह में तालु जल जाता है अथवा छाले हो जाते हैं।इसके लिए दस ग्राम की मात्रा में दारू हल्दी पीसकर थोड़े पानी में उबाल लें। जब पानी हल्का गर्म रह जाए तब इस पानी से कुल्ला करें तथा मुंह में थोड़ी देर से पानी को रोकें और पुनः बाहर निकाल दें। इससे छाले अथवा जलन को तुरन्त फायदा होगा। यदि थोड़ा बहुत पानी पेट में भी चला जाएगा तो कोई चिन्ता न करें यह पानी किसी प्रकार की हानि नहीं करेगा बल्कि और आन्तरिक लाभ ही होगा। यदि अब भी मुंह के तालु में जलन या छाले रह जाएं तो पुनः यही क्रिया दोहराएं। पेट साफ रखें। पानी खूब पीएं। फल-सब्जियां अधिक खाएं।