लॉन चुकाने के मामले में माल्या और नीरव मोदी से भी ज्यादा ईमानदार है देश के छोटे दुकानदार

देश के सबसे बड़े बैंक SBI की मानें तो सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वाले छोटे दुकानदार लोन चुकाने के मामले में ज्यादा ईमानदार हैं। SBI ने रेहड़ी-पटरी वालों को जो लोन दिया था उसमें से 20 फीसदी से भी कम NPA बना। लेकिन इससे बैंक पर कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि इस कर्ज पर गारंटी थी।

क्या होता है NPA?

स्वनिधि की दूसरी किस्त में लोन लेने वाले लोग समय पर अपने बकाये का भुगतान कर रहे हैं और NPA मात्र 1.7 फीसदी है। SBI ने हाल में यह खुलासा किया है। अगर किसी लोन का 90 दिन तक भुगतान नहीं किया जाता है तो इसे NPA मान लिया जाता है।

955 करोड़ रुपये का लोन दिया था

SBI के चेयरमैन दिनेश खारा ने पिछले हफ्ते सिविल सर्विसेज डे के मौके पर एक प्रजेटेंशन में कहा कि स्वनिधि योजना के तहत बैंक ने करीब 955 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इसमें से केवल 172 करोड़ रुपये का लोन NPA बना। यह कुल लोन का करीब 18 फीसदी है। इसमें से बैंक ने 78 करोड़ रुपये की रिकवरी कर ली क्योंकि यह लोन क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) के तहत कवर्ड है।

लोन खातों की संख्या को देखते हुए यह NPA मामूली

उन्होंने कहा कि बैंक को करीब 94 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ लेकिन साथ ही कई फायदे भी हुए। स्वनिधि योजना के तहत लोन खातों की संख्या को देखते हुए यह NPA मामूली है। इससे कहीं ज्यादा नुकसान तो बैंकों को कॉरपोरेट सेक्टर के एक ही NPA से हो जाता है। उन्होंने साथ ही कहा कि स्वनिधि की दूसरी किस्त ले रहे लोग समय पर किस्त का भुगतान कर रहे हैं और NPA केवल 1.7 फीसदी है।