इसका सेवन सिर्फ 1 चम्मच करने से अनिद्रा, कमजोरी, सिरदर्द जैसी 50 से ज्यादा बीमारियों में दवा से भी ज्यादा असरदार होता है

खसखस ही पोस्त का दाना है, जो एक मशहूर चीज है। जो भारतवर्ष में लगभग सभी जगह पाया जाता है। यह एक मशहूर वस्तु है, अतः इसका परिचय देने की आवश्यकता नहीं है। बाज़ार में किसी भी पंसारी व परचून की दुकान से खसखस लेकर प्रयोग में लिया जा सकता है।

खसखस सफ़ेद रंग का छोटे दाने वाला बीज है। यह स्वाद में फीका व कुछेक मीठा भी होता है। स्वभाव में शीतल होता है। दमा, श्वास, सर्दी आदि रोगों में नुकसान और सुस्ती व नींद अधिक लाता है। इसके सेवन से खांसी, जीर्णज्वर तथा यकृत के रोगों में फायदा होता है।

इसके सेवन से शरीर में मोटापा बढ़ता है, धातु को पुष्ट करता है और शरीर को बलवान करता है। अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में 2-4 ग्राम खसखस की जड़ को मुनक्का के साथ पीसकर पिलाएं। इससे अधिक प्यास लगने की परेशानी खत्म होती है। आपको बहुत अधिक पसीना आता है तो खसखस की जड़ का बारीक चूर्ण बना लें।

इसे शरीर पर लेप करें। इससे अधिक पसीना आने की समस्या का समाधान होता है। खसखस के प्रयोग से सूजन जैसी बीमारी में भी लाभ हो सकता है। 10-40 मिली मात्रा में खसखस का सेवन करें। इससे सूजन की समस्या ठीक हो जाती है। चीनी का शर्बत बना लें। इसमें 1-2 बूंद पुदीना का अर्क मिलाएं।

इसमें 1-2 बूंद खसखस की जड़ का अर्क डालकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है। त्वचा रोग में खसखस के इस्तेमाल से फायदा मिलता है। त्वचा रोग से परेशान लोग खस, नागरमोथा तथा धनिया को पानी में पीस लें। इसका लेप करें। इससे त्वचा के विकार ठीक होते हैं।

मूत्र रोग जैसे- पेशाब का कम आना आदि में 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण में 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसका सेवन करें। इससे कम पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। यह मूत्र के अन्य विकारों में भी लाभ देता है।

खसखस के पंचांग का काढ़ा बनाकर भांप देने से भी बुखार उतर जाता है। आप खसखस की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-40 मिली मात्रा में पिएं। इससे भी बुखार में लाभ होता है

शरीर की जलन से परेशानी रहते हैं तो खसखस की जड़ को पीसकर पूरे शरीर पर लगाएं। इससे शरीर की जलन शांत हो जाती है। कई लोगों को खून की कमी की समस्या हो जाती है। इसमें 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे खून की कमी दूर होती है।

सीने में दर्द की परेशानी में 2-4 ग्राम खस की जड़ का चूर्ण बना लें। इसमें 500 मिग्रा पिप्पली की जड़ का चूर्ण मिला लें। इसमें घी मिलाकर खाएं। इससे छाती का दर्द ठीक हो जाता है।

पित्तज रोग को ठीक करने के लिए 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण का सेवन करें। इसी तरह 5-10 मिली खस की जड़ के रस में चीनी के चूर्ण को मिलाकर पीने से पित्तोन्माद में लाभ होता है।

नींद की समस्या से परेशान लोग खसखस का इस्तेमाल कर सकते हैं। असल मे इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि खसखस का इस्तेमाल अनिद्रा की समस्या के लिए सदियों से किया जा रहा है

किडनी स्टोन से पीड़ित मरीजों के लिए खसखस प्रभावी विकल्प हो सकता है। है कि कैल्शियम का अधिक जमाव किडनी स्टोन का कारण बन सकता है।

खसखस में सेलेनियम होता है, जो थायराइड फंक्शन को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे हाइपो और हाइपर थायराइड के लक्षण समाप्त हो सकते हैं