जानिए भारत की इन रहस्यमय गुफाओ के रहस्य के बारे मे, जान कर आप भी रहे जाएंगे दंग

1. अजंता ऐलोरा की गुफाएं (महाराष्ट्र, जिला औरंगाबाद)

महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित‍ अजंता-एलोरा की गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं। अब इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया जा रहा है। अजंता की गुफाओं में 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। एलोरा की गुफाओं में हिंदू, जैन और बौद्ध तीन धर्मों के प्रति दर्शाई आस्था का त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। ये गुफाएं 350 से 700 ईसा पश्चात के दौरान अस्तित्व में आईं। आर्कियोलॉजिकल और जियोलॉजिस्ट की रिसर्च से यह पता चला कि इन गुफाओं को कोई आम इंसान या आज की आधुनिक तकनीक नहीं बना सकती। यहां एक ऐसी सुरंग है, जो इसे अंडरग्राउंड शहर में ले जाती है। महाराष्ट्र के औरंगबाद जिले में ही पीतलखोरा की गुफाएं भी प्रसिद्ध है।

2. बाघ गुफाएं

गुफ़ाएं नर्मदा की सहायक करद या बाघिनी नदी के तट पर और विन्ध्य पर्वत के दक्षिण ढलान पर स्थित हैं। बाघ गुफ़ाओं के चित्रों की शैली अजंता के समान है तथा समकालीन है किन्तु बाघ की कला में अजन्ता के समान केवल धार्मिक विषय ही नहीं हैं, यहाँ पर मानवोचित भावों के चित्रण में वेगपूर्ण प्रवाह भी है। बाघ गुफ़ाओं के भित्तिचित्रों में फूल, पक्षी व पशुओं का चित्रण विशेष महत्त्वपूर्ण है। गुफ़ा संख्या 2 का सर्व प्रसिद्ध चित्र पद्मपाणि बुद्ध का है जो ‘पाण्डव गुफ़ा’ के नाम से भी प्रचलित है जबकि तीसरी गुफा ‘हाथीखाना’ के नाम से जानी जाती है।

3. अमरनाथ गुफा (कश्मीर)

अमरनाथ की गुफा में शिवजी ने तप किया था और यहीं पर उन्होंने पार्वती माता को अमरता का प्रवचन दिया था। जम्मू और कश्मीर में तो अमरनाथ और वैष्णोदेवी की गुफा में हिन्दूजन दर्शन के लिए जाते ही हैं, लेकिन कश्मीर में ऐसी 4 गुफाएं हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उनका दूसरा सिरा 4,000 किलोमीटर दूर रूस तक जाता है। इतना ही नहीं, इन गुफाओं के बारे में और भी ऐसे रहस्य हैं जिनकी सच्चाई सदियों बाद भी सामने नहीं आईं। जम्मू-कश्मीर के पीर पंजाल में एक गुफा है, जहां एक शिवलिंग रखा है। इसका नाम पीर पंजाल केव रखा गया है। जम्मू में ही शिव खाड़ी नामक एक गुफा है।

4. जोगीमारा गुफा

छत्तीसगढ़ में आपको देखने के लिए घने जंगल, वन्य जीव, आदिवासी और प्राकृतिक सुंदरता मिलेगी। सीताबेग गुफा सरगुजा जिले के अंबिकापुर की रामगढ़ पहाड़ियों में स्थित है। दरअसल, ये दो गुफाएं हैं। क सीताबेंग और दूसरी जोगीमारा। यहां तक पंहुचने के लिए आपको प्राकृतिक टयूनल हतिपल के रास्ते से जाना होगा। छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाकों और घने जंगल से होते हुए ही आप कैलाश गुफा, दंडक गुफा और कुटुमसर गुफा (जो कांगड़ वैली के नेशनल पार्क के पास है) तक पहुंच सकते हैं।

5. उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं

उदयगिरि और खंडगिरि ओडीशा में भुवनेश्वर के पास स्थित दो पहाड़ियाँ हैं। इन पहाड़ियों में आंशिक रूप से प्राकृतिक व आंशिक रूप से कृत्रिम गुफाएँ हैं जो पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व की हैं। हाथीगुम्फा शिलालेख में इनका वर्णन ‘कुमारी पर्वत’ के रूप में आता है। ये दोनों गुफाएं लगभग दो सौ मीटर के अंतर पर हैं और एक दूसरे के सामने हैं। ये गुफाएं अजन्ता और एलोरा जितनी प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन इनका निर्माण बहुत सुंदर ढंग से किया गया है।

6. बारबर गुफाएं

बिहार के गया जिले में है बारबर गुफाएं। ये गुफाएं बाराबर की दो पहाड़ियों में हैं। यहां कुल चार गुफाएं हैं और नागार्जुन की पहाड़ियों में तीन गुफाएं हैं। जो भारत की सबसे पुरानी गुफाओं में से हैं। यहां की ज्यादातर गुफाएं को ग्रेनाइट से बनाया गया है। इनके अलावा, सुदामा और सोनभद्रा भी बिहार की प्रसिद्ध गुफाओं में से एक हैं।

7. बादामी गुफा

कर्नाटक के बगलकोट जिले की ऊंची पहाड़ियों में स्थित बादामी गुफा का आकर्षण अद्भुत है। बादामी गुफा में निर्मित हिंदू और जैन धर्म के चार मंदिर अपनी खूबसूरत नक्कागशी, कृत्रिम झील और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध हैं। चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफा का दृश्य‍ इसके शिल्पकारों की कुशलता का बखान करता है। बादामी गुफा में दो मंदिर भगवान विष्णु और एक भगवान शिव को समर्पित है और चौथा जैन मंदिर है। गुफा तक जाती सीढ़ियां इसकी भव्यता में चार चांद लगाती हैं।