भारत के सबसे भारी रॉकेट ने 36 ब्रिटिश उपग्रहों को लेकर श्रीहरिकोटा से भरेंगे उड़ान

टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत दिन-ब-दिन रॉकेट स्पीड से आगे बढ़ रहा है। भारत अब अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के अन्य देशों के लिए एक नई मिसाल कायम कर रहा है। भारत अब देश के सबसे भारी रॉकेट से उड़ान भरने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए भारत सरकार का अंतरिक्ष विभाग GSLV-Mk3 रॉकेट लॉन्च की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है। विशेषज्ञों का यह भी दावा है कि यह रॉकेट देश में हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने में मदद करेगा।

नया रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-एमके3 (जीएसएलवी-एमके3) जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में चार टन वजन के उपग्रहों को लॉन्च करने में सक्षम है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मध्यरात्रि के तुरंत बाद 21 अक्टूबर को प्रक्षेपण निर्धारित है। यह ठोस, तरल और क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित तीन चरणों वाला रॉकेट है। देश की भारती एंटरप्राइजेज वनवेब में एक प्रमुख निवेशक और शेयरधारक है।

वनवेब इंडिया-1 मिशन/एलवीएम3 एम2 के तहत लॉन्च किया गया यह उपग्रह इसरो के एलवीएम3 को वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च बाजार में प्रवेश देगा। वनवेब ने इस लॉन्च के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के साथ साझेदारी की है। एनएसआईएल इसरो की वाणिज्यिक शाखा है। यह कंपनी का 14वां लॉन्च होगा।

इस साल की शुरुआत में, वनवेब की प्रमुख निवेशक और शेयरधारक कंपनी भारती एंटरप्राइजेज ने ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक वितरण साझेदारी की घोषणा की। वनवेब ने कहा कि वह लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में पहली पीढ़ी के उपग्रहों के समूह के लिए अपने लक्ष्य का 70 प्रतिशत पूरा करेगा। यह दुनिया भर में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने में सहायक है।