क्या आप भी बच्चे के बिस्तर में पेशाब करने की आदत से परेशान हैं? तो अभी अपनाएं यह उपाय

कुछ बच्चे प्राय बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। ऐसे बच्चों को शाम के समय अधिक गरम अथवा शीतल पेय नहीं देना चाहिए। स्नायु की दुर्बलता तथा बदहजमी के कारण बच्चे सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर बैठते हैं।

कभी-कभी ठंड लगने से भी बच्चे बिस्तर गंदा कर देते हैं। ऐसे बच्चों के स्नायु कमजोर होते हैं। वे सोते समय अचेतन अवस्था में पेशाब का वेग नहीं रोक पाते। फलस्वरूप बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं।

10 ग्राम प्याज का अर्क तैयार करें। उसमें 3 ग्राम एलुवा घोल लें। इस पेस्ट को बच्चे की पसलियों तथा पेट पर मलें। कबूतर की बीट पानी में घोलकर बच्चे के पेड़ पर चंदन की तरह मलें। अखरोट की गिरी तथा किशमिश-दोनों को पीसकर चटनी के रूप में बच्चे को खिलाएं।

सूखा आंवला, काला जीरा तथा मिश्री- सभी 2-2 ग्राम की मात्रा मे कूट-पीसकर पानी के साथ खिलाना चाहिए। नित्य दो छुहारे खिलाने से बच्चा बिस्तर पर पेशाब नहीं करता। जामुन की गुठली कूट-पीसकर एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ रात में बच्चे को खिलाएं। 50 ग्राम काले तिल तथा 50 ग्राम गुड़ दोनों को मिलाकर सुबह-शाम 10 ग्राम की मात्रा में खिलाएं।

बच्‍चे रात को सोते समय अक्‍सर बिस्‍तर गीला कर देते हैं। बच्‍चों में होने वाली इस समस्या को भी कहा जाता है। इसमें रात को सोने के बाद बच्‍चे का अपने आप पेशाब निकल जाता है। इसे लेकर आपको ज्‍यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

बच्‍चे को टॉयलेट ट्रेनिंग ठीक से न मिलने पर ऐसा हो सकता है। बच्‍चे के विकास का यह एक सामान्‍य हिस्‍सा है। 7 साल की उम्र तक बैड वैटिंग चिंता की बात नहीं है। हो सकता है कि इस उम्र तक आपका बच्‍चा रात को पेशाब रोकना सीख रहा हो। यदि इस उम्र के बाद भी रात को बिस्‍तर गीला करने की परेशानी हो रही है

तो आपको इस समस्‍या को समझकर इसका इलाज करना चाहिए।कई कारणों से बच्‍चे सोते समय बिस्‍तर में पेशाब कर देते हैं, जैसे कि हो सकता है कि रात को पेशाब रोकने के लिए आपके बच्‍चे का मूत्राशय पर्याप्‍त विकसित न हुआ हो

अगर मूत्राशय को कंट्रोल करने वाली नसें धीरे मैच्‍योर हो रही हैं तो पेशाब आने पर बच्‍चे की नींद नहीं खुलती है। ऐसा खासतौर पर गहरी नींद में होता है बचनप में रात के समय पेशाब कम आने के लिए कुछ बच्‍चों के शरीर में पर्याप्त मूत्र-रोधी हार्मोन नहीं बन पाते हैं। कमरे से बाथरूम ज्‍यादा दूर नहीं होना चाहिए।

वहीं बाथरूम ऐसी जगह भी नहीं होना चाहिए, जहां जाने से बच्‍चे को डर लगे।अगर बच्‍चे को रात में उठकर पेशाब करने जाने से डर लगता है तो उसे बोलें कि वो आपको अपने साथ लेकर जाए। आप कमरे में एक हल्‍का बल्‍ब भी जलाकर रख सकते हैं।

बच्‍चे को पर्याप्‍त मात्रा में पानी और अन्‍य तरल पदार्थ दें। उसे दिन में पानी ज्‍यादा पीना है। कोशिश करें कि वो सुबह के समय 40 फीसदी, दोपहर में 40 फीसदी और फिर शाम को 20 फीसदी पानी एवं तरल पदार्थ ले।

इससे रात में पेशाब कम आएगा। बच्‍चे को बाथरूम और टॉयलेट ट्रेनिंग दें।अधिकतर बच्‍चे खुद ही इस परेशानी से निकल जाते हैं जबकि कुछ बच्‍चों को थोड़ी मदद की जरूरत पड़ती है। कुछ बच्‍चों को किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के कारण ये दिक्‍कत हो सकती है जिसका तुरंत इलाज करवाने की जरूरत होती है। निम्‍न स्थितियों में तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं|

बच्‍चों का रात को सोते समय बिस्‍तर गीला करना बहुत आम बात है लेकिन अगर आपके बार-बार समझाने या जरूरी कदम उठाने पर भी बच्‍चे की ये आदत नहीं जा रही है तो आपको इस विषय में डॉक्‍टर से जरूर परामर्श करना चाहिए।