रुद्राक्ष को हिन्दी में रुद्रक तथा संस्कृत में शिवाक्ष, भूतनाशक, पावन, नीलकटांक्ष, हराक्ष, शिवप्रिय, तृणमेरू इत्यादि कहते हैं। यह एक मध्यम कद का वृक्ष होता है, जो हिमालय के निचले भागों में नेपाल और भूटान की तरफ मुख्य रूप से पाया जाता है।
इसके फलों की माला बनाकर सभी साधु-सन्त और शिव भक्त पहनते हैं। रुद्राक्ष स्वाद में खट्टा और स्वभाव से गरम तथा व्यवहार में वायु को नष्ट करने वाला, कफ-निस्सारक, सिरदर्द को मिटाने वाला तथा भूत व गृहबाधा को दूर करने वाला होता है।
चेचक, बोदरी और अड़बड़ा के मौसम में रुद्राक्ष की माला धारण करने से इन बीमारियों के होने का डर नहीं रहता है। इसलिए एक ऐसी माला- जो ताम्बे के तार में पपीते के बीज और रुद्राक्ष के फलों से बनाई गयी हो को हर समय गले में धारण किया जाये, तो हैजा, शीतला, बोदरी इत्यादि रोगों के आक्रमण का भय कम हो जाता है।
रुद्राक्ष के दो-तीन दाने लेकर उनको बारीक पीसकर, शहद के साथ मिलाकर पांच-पांच मिनट में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मां के दूध के साथ बच्चे को देने से कफ की बीमारी से परेशान बच्चे को उल्टी होकर छाती में जमा सारा कफ निकलकर बाहर आ जाता है और मरणासन्न बच्चे को आराम मिल जाता है।
गृहबाधा व भूतबाधा से पीड़ित मनुष्य को रुद्राक्ष की माला पहनाने से भूत व प्रेतबाधा दूर हो जाती है। रुद्राक्ष एक खास तरह के पेड़ का बीज है। ये पेड़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई पर, खासकर हिमालय में पाए जाते हैं।
पंचमुखी रुद्राक्ष सुरक्षित होता है और यह पुरुषों, महिलाओं और बच्चों, हर किसी के लिए अच्छा है। यह समान्य खुशहाली, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के लिए है। यह आपके ब्लड प्रेशर को कम करता है, आपकी तंत्रिकाओं को शांत करता है और स्नायु तंत्र में एक तरह की शांति और सतर्कता लाता है।
एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो हर समय घूमता रहता है और विभिन्न जगहों पर खाता और सोता है, रुद्राक्ष एक बहुत अच्छा सहारा है क्योंकि यह आपकी अपनी ऊर्जा का एक सुरक्षा कवचा बना देता है।
आपने ध्यान दिया होगा कि जब आप एक नई जगह पर जाते हैं, कभी आपको आसानी से नींद आ जाती है, जबकि किसी दूसरी जगह पर आपको नींद नहीं आती चाहे आप कितना ही थके हों
आप एकमुखी पहनते हैं तो आप बारह दिन में अपना परिवार छोड़ देंगे। आप अपना परिवार छोड़ते हैं या नहीं, मुद्दा यह नहीं है, बात बस इतनी है कि यह आपकी ऊर्जाओं को ऐसा बना देगा कि आप अकेले होना चाहेंगे।
यह आपको दूसरे लोगों के साथ मिलनसार नहीं बनाता। अगर आप दूसरे तरह के रुद्राक्ष पहनना चाहते हैं आम तौर पर मनकों को एक माला के रूप में पिरोया जाता है। पारंपरिक रूप से, यह माना जाता है कि मनकों की संख्या 108 ‘प्लस एक’ होनी चाहिए
सनातन धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। रुद्राक्ष एकमात्र ऐसा प्रकृति की ओर से वरदान में दिया फल है जिससे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष सभी की प्राप्ति में लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से गिरने वाले जल बूंदों से निर्मित हुआ है।
स्पतमुखी रुद्राक्ष सप्तमातृकाओं का प्रतिक माना जाता है। इसको धारण करने से माता लक्ष्मी प्रस्नन रहती हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती है।