गाजर को संस्कृत में ग्रन्थिमूल, गर्जन, नारंगा, पिडमूलि, पिंडिका, शिखकन्द इत्यादि कई नामों से पुकारते हैं। यह भारतवर्ष में लगभग सभी जगह उत्पन्न होने वाला एक कन्द है, जो अक्सर जाड़े में ही पैदा होता है। यह खेतों में बोई जाती है तथा इसकी एक प्रजाति जगलों में पैदा होती है, जिसे जंगली गाजर के नाम से जाना जाता है ।
गाजर स्वाद में मीठी, तीखी, कड़वी तथा फीकी-सी होती है। स्वभाव से गरम और तर होती है। गाजर रक्त-पित्त, बवासीर, रुचिकारक, आफरे को दूर करने वाली, शूल, दाह, पित्त और प्यास को दूर करने वाली होती है। इसके बीज कामोद्दीपक और गर्भाशय की पीड़ा में लाभदायक हैं।
जंगली गाजर चरपरी, गरम, कफ-वात रोगनाशक, कुष्ठ, बवासीर, शूल, दमा और हिचकी में फायदा पहुंचाती है। खांसी और सीने के दर्द में फायदेमंद है। गुर्दे और मसाने की पथरी को तोड़ देती है तथा शरीर को मोटा करती है।
गाजर का काढ़ा पीलिया रोग की असरदार दवा है। कच्ची गाजर खाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं। बिगड़े हुए फोड़ों, जलन व दुष्ट व्रण पर इसको कसनी पर कसकर पुल्टिस बांधने व लगाने से फायदा होता है। इसके बीजों का काढ़ा पिलाने से प्रसूति के समय प्रसूता की पीड़ा कम होकर बच्चा आराम से हो जाता है।
इसके बीज सीने और कमर दर्द में लाभदायक होते हैं तथा गुर्दे व मसाने की पथरी को तोड़कर बाहर निकाल देते हैं। गाजर के पत्तों पर घी चुपड़कर, गरम करके, उसका रस निकालकर दो-तीन बूंद नाक में और 2-3 बूंद कान में टपकाने से कुछ छीकें आकर आधाशीशी बन्द हो जाती है।
कच्ची गाजर को पीसकर अग्नि से जले हुए स्थान पर लेप करने से जलन की पीड़ा मिटती है। गाजर का हलवा खाने से कमजोरी मिटकर पुरुषार्थ बढ़ता है। गाजर को भूनकर, उसको छीलकर, एक रात भर खुली हवा में रखकर, प्रात: काल शक्कर और गुलाब के अर्क के साथ खाने से हृदय की धड़कन बन्द होकर हृदय को ताकत मिलती है।
जंगली गाजर धातु को पुष्ट करती है, मेदों को गरम करती है, जिगर को मुलायम करती है तथा वीर्य को गाढ़ाकर पुरुषार्थ बढ़ाती है।आजकल कंम्यूटर पर काम दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण आँखों को सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गाजर आँखों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
250 ग्राम सौंफ को साफ करके कांच के पात्र में रखें, इसमें बादामी रंग की गाजरों के रस दें। सूख जाने के बाद 5 ग्राम रोज रात में दूध के साथ सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। गाजर का औषधीय गुण मुँह के रोगों में फायदेमंद होता है। गाजर के ताजे पत्तों को चबाने से मुँह का अल्सर, मुख में दुर्गंध, दांत के जड़ से ब्लीडिंग होने तथा पूयस्राव मे लाभ मिलता हे
अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है तो गाजर से इसका इलाज किया जा सकता हे बच्चों को पेट में कृमि की समस्या सबसे ज्यादा होती है। गाजर का काढ़ा बनाकर 20-40 मिली मात्रा में पीने से पेट की कृमियों से छुटकारा मिलता है।
गाजर खाने से आपका दिल सेहतमंद रहता है। गाजर में पाए जाने वाले बीटा-कैरोटीन, अल्फा-कैरोटीन और लुटेइन जैसे एंटीऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रोल लेवल को कंट्रोल रखता है। जिसके चलते हार्ट अटैक का खतरा बहुत कम हो जाता है।