भारत के इस रहस्यमय गांव में हर साल हजारों पक्षी खुदकुशी करने आते हैं, रहस्य आज भी बरकरार

ढेर सारी खासियतों वाले असम राज्य की कई बातें काफी रहस्यमय भी हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि असम में एक ऐसी जगह है, जहां हजारों पक्षी आत्महत्या कर लेते हैं। दरअसल, असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी पक्षियों का सुसाइड पॉइंट के तौर पर काफी मशहूर है। हर साल सितंबर महीने में जतिंगा गांव पक्षियों की आत्महत्या के कारण सुर्खियों में आ जाता है। इस जगह पर ना केवल स्थानीय पक्षी बल्कि प्रवासी पक्षी भी पहुंच कर सुसाइड कर लेते हैं। इस वजह से जतिंगा गांव काफी रहस्यमय माना जाता है।

Jatinga Village, the Valley of Death for Birds - HubPages

आत्महत्या करने की प्रवृत्ति, तो इंसानों में आम है, लेकिन पक्षियों के मामले में ये बात एकदम अलग हो जाती है। जतिंगा गांव में पक्षी तेजी से उड़ते हुए किसी इमारत या पेड़ से टकरा जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है। ऐसा इक्का-दुक्का नहीं, बल्कि हजारों पक्षियों के साथ होता है। सबसे अजीब बात, तो ये है कि ये पक्षी शाम 7 से रात 10 बजे के बीच ही ऐसा करते हैं, जबकि आम मौसम में इन पक्षियों की प्रवृति दिन में ही बाहर निकलने की होती है और रात में वे घोंसले में लौट जाते हैं।

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आत्महत्या की इस दौड़ में स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की करीब 40 प्रजाति शामिल हैं। प्राकृतिक कारणों से जतिंगा गांव नौ महीने बाहरी दुनिया से अलग-थलग ही रहता है। इतना ही नहीं जतिंगा घाटी में रात में प्रवेश करना प्रतिबंधित है। पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि चुंबकीय ताकत इस रहस्यमय घटना की वजह है।

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जतिंगा गांव के लोग इसके पीछे रहस्यमय ताकत का हाथ मानते हैं। गांव के लोगों का ऐसा कहना है कि हवाओं में कोई पारलौकिक ताकत आ जाती है, जो पक्षियों से ऐसा करवाती है। उनका ये भी मानना है कि इस दौरान इंसानी आबादी का भी बाहर आना खतरनाक हो सकता है। सितंबर-अक्तूबर के दौरान जतिंगा की सड़कें शाम के समय एकदम सुनसान हो जाती हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

कथित तौर पर पक्षियों की आत्महत्या का सिलसिला साल 1910 से ही चला आ रहा है, लेकिन बाहरी दुनिया को ये बात 1957 में पता चली