भारत समेत दुनिया के कई देशों ने कोरोना से तबाही होते हुए देखी। भारत में पिछले साल दूसरी लहर के दौरान कई मौतें हुईं। हालांकि तीसरी लहर के दौरान देश में कोई खास असर नहीं हुआ। कोरोना वायरस शुरू से ही अपनी रूप बदलता रहा है। इसके कई वेरिएंट जैसे डेल्टा और ओमिक्रॉन लोगों को देखने को मिले। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि कोई भी वैक्सीन सभी वेरिएंट में असर नहीं करती। कई देशों में वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने का फैसला किया गया।
यूनिवर्सल वैक्सीन की बात नई नहीं है। वैज्ञानिक एक दशक से भी ज्यादा समय से यूनिवर्सल फ्लू शॉट बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 2019 में एक वैक्सीन के ट्रायल शुरू हुए थे मगर अभी तक इसे मार्केट के लिए मंजूरी नहीं दी गई है।फाउची और अन्य एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड वेरिएंट्स और भविष्य के कोरोना के लिए यूनिवर्सल वैक्सीन जल्द नहीं आ पाएगी। लेकिन नई रिसर्च बताती है कि ऐसी वैक्सीन बनाना संभव है।
यूनिवर्सल वैक्सीन का मतलब एक ऐसी वैक्सीन से है। जो कोरोना के सभी वेरिएंट से लड़ने में मदद करेगी। ‘नेचर’ पत्रिका में छपा एक हालिया आर्टिकल भी ‘वेरिएंट प्रूफ’ वैक्सीन बनाने की बात करता है। इस आर्टिकल में कहा गया कि ‘बूस्टर डोज से मिलने वाली प्रोटेक्शन समय के साथ कम होती जाएगी। आर्टिकल में ऐसी वैक्सीन की जरूरत पर जोर दिया गया है जो संक्रमण भी रोके और गंभीर बीमारी भी।
यूनिवर्सल वैक्सीन में वायरस के उन हिस्सों पर वार किया जाएगा जो वेरिएंट बदलने पर भी एक जैसे रहते हैं। अगर इम्यून सिस्टम को इन हिस्सों की पहचान में ट्रेन कर लिया जाए तो इस तरह की वैक्सीन बनाई जा सकती है। आपको बता दें कि अमेरिकी सेना का वॉल्टर रीड आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च अपनी पैन-कोरोना वायरस वैक्सीन के फेज 1 नतीजों का इंतजार कर रहा है। इसके अलावा DIOSyn नाम की एक कंपनी भी ऐसी ही वैक्सीन डिवेलप कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि यूनिवर्स वैक्सीन जल्द ही तैयार होगी।