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महाशिवरात्रि 2023: 111 फीट ऊंची महादेव की प्रतिमा, 12 करोड़ की लागत, 17.5 किलो सोने से मढ़ा गया

<p>वड़ोदरा जैसे सुसंस्कृत शहर की जब बात आती है तो वडोदरा नाम के साथ एक जगह याद आती है&comma; जिसके बिना वडोदरा अधूरा है। कई पीढ़ियां इसके किनारे बैठकर बड़ी हुई हैं और वर्षों बीत जाने के बावजूद सूरसागर झील का आकर्षण बरकरार है। वड़ोदरा शहर की सूरसागर झील और उसके केंद्र में 111 फीट ऊंची महादेव की प्रतिमा जिसे 12 करोड़ की लागत से 17&period;5 किलो सोने से मढ़ा गया है।<&sol;p>&NewLine;<p><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;images&period;news18&period;com&sol;static-guju&sol;uploads&sol;2023&sol;02&sol;WhatsApp-Image-2023-02-16-at-17&period;34&period;00&period;jpeg" &sol;><&sol;p>&NewLine;<p><strong>पहले इसे इसी नाम से जाना जाता था<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;<p>जब वड़ोदरा सिर्फ चार दरवाजों के बीच स्थित था और इसे फोर्ट-ए-डोलताबाद के नाम से जाना जाता था और धीरे-धीरे उस नाम को भुला दिया गया और वडोदरा नाम ग्रहण कर लिया गया। यह वह समय था जब दिल्ली में औरंगजेब की सत्ता गिर चुकी थी। उस समय&comma; बाबी नबीर अहमदाबाद के मुगल शासकों के फोजदार होने के बजाय खुद को वड़ोदरा में बाबी नवाब कहते थे।<&sol;p>&NewLine;<p><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;images&period;news18&period;com&sol;static-guju&sol;uploads&sol;2023&sol;02&sol;WhatsApp-Image-2023-02-16-at-17&period;33&period;11&period;jpeg" &sol;><&sol;p>&NewLine;<p>इस बाबी नवाब के समय में राजा किरपा राम चतुर्भुज देसाई नाम का एक व्यक्ति उत्तर भारत से वडोदरा आया था&comma; जिसके हाथ में वड़ोदरा की देसाई गिरी थी। अब देसाई गिरी का अर्थ है राज्य में आने वाले माल पर कर लगाने की शक्ति।<&sol;p>&NewLine;<p><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;images&period;news18&period;com&sol;static-guju&sol;uploads&sol;2023&sol;02&sol;WhatsApp-Image-2023-02-16-at-17&period;33&period;59&period;jpeg" &sol;><&sol;p>&NewLine;<p>राजा किरपा राम की मृत्यु हो गई और राजा किरपराम का एक बेटा हुआ जिसका नाम मंचाराम था। यह मंचाराम अपने पिता के देसाई गिरि को किसी भी कीमत पर बचाना नहीं चाहता था। वडोदरा के देसाई गिरि को किसी और को देने की उनकी तीव्र इच्छा थी। देसाईगिरी वीरेश्वर पांड्या और उनके भाई दलाभाई पांड्या किरपा राम के पास थे। अदाभाई पांड्या के पुत्र का नाम सुरेश्वर पांड्या था।<&sol;p>&NewLine;

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