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यहीं हुआ था गणेशजी का जन्म, जानिए मंदिर की पौराणिक कथा

<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><b>गणेश जन्मभूमि डोडीताल कैलासू&comma; असी गंगा उद्गम अरु माता अन्नपूर्णा निवासू…<&sol;b><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">ये लोक गीत उत्तराखंड के डोडीताल कैलासू के घर-घर में गाया जाता है। इस लोकगीत से भगवान गणेश का बहुत पुराना रिश्ता है। मान्यता है कि देवों की भूमि उत्तराखंड के डोडीताल कैलासू में ही भगवान भोलेनाथ के पुत्र <&sol;span>भगवान गणेश का जन्म<span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;"> हुआ था।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">भगवान गणेश को यहां के स्थानीय बोली में डोडी राजा भी बुलाया जाता है। स्कंद पुराण के केदारखंड में <&sol;span>भगवान गणेश को डुंडीसर <span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">नाम से भी पुकारा गया है&comma; जो डोडीताल के नाम से लिया गया है।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">उत्तराखंड में डोडीताल गणेश मंदिर <strong>&lpar;Dodital Ganesh temple&rpar;<&sol;strong> दिव्य स्थान उत्तरकाशी जिले में संगम चिट्टी से लगभग 23 किलोमीटर दूर स्थित है। मान्यता है कि जब मां पार्वती यहां पर स्नान करने गई थीं तो उन्होंने अपने उबटन से एक बालक की प्रतिमा का निर्माण कर उसमें प्राण डाल दिए थे। जिससे <&sol;span>भगवान गणेश<span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;"> की उत्पत्ति हुई। स्कन्द पुराण के केदार खंड में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<h3 style&equals;"text-align&colon; justify&semi;"><b>यहीं कटा था भगवान गणेश का सिर<&sol;b><&sol;h3>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">डोडीताल में मां पार्वती को मां अन्नपूर्णा के नाम से बुलाया जाता है। भगवान गणेश के साथ यहां से एक और कहानी जुड़ी हुई है। यहीं वो जगह है जहां भगवान गणेश का सिर भगवान शिव ने काट दिया था।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">मान्यता के अनुसार जब मां अन्नपूर्णा डोडीताल में स्नान के लिए आई थीं&comma; तो उन्होंने भगवान गणेश को द्वारपाल के रूप में झील के बाहर रहने को कहा था। साथ ही मां अन्नपूर्णा ने गणेश जी को आदेश दिया था कि वे किसी को भी अंदर न आने दे।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव को भगवान गणेश ने डोडीताल जाने से रोक दिया था। जिससे भगवान शिव क्रोधित होकर गणेश जी के सिर को धड़ से अलग कर दिया था।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">मुद्गल ऋषि के द्वारा लिखे गए मुद्गल पुराण में डोडीताल का जिक्र भगवान गणेश की जन्मभूमि के साथ भगवान शिव के साथ उनकी युद्ध स्थल के रूप में है। डोडीताल में स्थित डोडीताल मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। वहीं त्रियुगीनारायण मंदिर में भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">उत्तराखंड को मां पार्वती का मायका भी कहा जाता है। यहां हर 12 साल में एक बार नंदा देवी राजजात यात्रा निकाली जाती है। इस दौरान मां पार्वती अपने मायके आती हैं। भगवान शिव और पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित यहां एक कार्तिक स्वामी मंदिर भी है।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<h3 style&equals;"text-align&colon; justify&semi;"><b>भगवान गणेश की जन्मभूमि डोडीताल कैसे पहुंचे&quest;<&sol;b><&sol;h3>&NewLine;<p style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">डोडीताल 3&comma;310 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ों के बीच घिरा हुआ एक जगह है। यहां एक पन्ना झील है। जो शांत और सुन्दर वातावरण के कारण उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत झीलों में शामिल है। डोडीताल का नाम दुर्लभ हिमालय ब्राउन ट्राउन प्रजाति की मछलियों के नाम से रखा गया है।<&sol;span><&sol;p>&NewLine;<ol style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">&NewLine;<li style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;" aria-level&equals;"1"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">यहां पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले बस और टैक्सी के माध्यम से दिल्ली या देहरादून से सीधे जिला मुख्यालय उत्तरकाशी पहुंचाना होगा।<&sol;span><&sol;li>&NewLine;<li style&equals;"font-weight&colon; 400&semi; text-align&colon; justify&semi;" aria-level&equals;"1"><span style&equals;"font-weight&colon; 400&semi;">यहां से आपको सड़क मार्ग से 20 किलोमीटर दूर अगोड़ा गांव पहुंचना होगा। इसके बाद 18 किलोमीटर का पैदल ट्रैक को पार कर डोडीताल पहुंचा जा सकता है।<&sol;span><&sol;li>&NewLine;<&sol;ol>&NewLine;

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