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गुजरात के युवक की ईमानदारी देख अमेरिकी महिलाने आंखों में आंसू लिए कहा- थैंक यू सो मच…

<p>भारत में अतिथि को देवता का रूप माना जाता है। माता-पिता और आचार्य के बाद &&num;8216&semi;अतिथि देवो भवः&&num;8217&semi; कहा गया है। हमारे वेद-पुराणों और शास्त्रों में अतिथि का ही गुणगान नहीं किया गया है&comma; अपितु श्लोकों से लेकर लोगों तक में अतिथियों के लिए मर मिटने की भी इच्छा भी व्यक्त की गइ है। भुज के एक युवक ने &&num;8216&semi;अतिथि देवो भव&&num;8217&semi; की भावना पर खरा उतरा है। इस युवक की ईमानदारी से एक अमेरिकी जोड़ा भी द्रवित हो गया। यदि कोई भारतीय ईमानदारी दिखाता है तो भारत का गौरव भी बढ़ता है और हर भारतीयो का सीना फूल जाता है। इसमें भी इस अमेरिकी कपल ने एक वीडियो शेयर कर कहा&comma; &&num;8216&semi;भारत से कई बुरी खबरें आती हैं&comma; लेकिन यहां अनुभव ज्यादा अच्छा है। भारत एक खूबसूरत देश है।&&num;8217&semi; इस वीडियो को 55 लाख से ज्यादा व्यूज भी मिल चुके हैं&period;<&sol;p>&NewLine;<p><strong>एक YouTuber युगल और ट्रेन में भूला हुआ बटुआ<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;<p>स्टेफनी और पीटर एक अमेरिकी कपल हैं जो कुछ दिन पहले भारत घूमने आए थे। ये यूट्यूबर कपल ट्रेन में सफर कर रहा था तभी ट्रेन में ही अपना पर्स भूल गया। हालांकि उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं था&comma; लेकिन पांच दिनों के भीतर यह बटुआ दस्तावेजों और उसमें मौजूद नकदी के साथ उन्हें वापस कर दिया गया था&period;<&sol;p>&NewLine;<p>भुज के रेलवे स्टेशन पर एक रेस्तरां चलाने वाले चिराग राजगोर और एक अमेरिकी महिला स्टेफ़नी के साथ विशेष बातचीत की&comma; ताकि यह पता लगाया जा सके कि भुज के एक युवक द्वारा जोड़े का बटुआ कैसे लौटाया गया&comma; कैसे अमेरिकी जोड़े का बटुआ खो गया और कैसे एक युवक ने उसे सौंप दिया। स्टेफ़नी ने भारत में इस अनुभव के बारे में विस्तार से बताया और युवक की ईमानदारी की सराहना की।<&sol;p>&NewLine;<p><strong>परिवार के एक सदस्य को लेने गया तो सीट के नीचे पर्स मिला<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;<p>23 वर्षीय चिराग राजगोरे&comma; जिन्होंने अमेरिकी युगल स्टेफ़नी और पीटर को अपना बटुआ लौटाया और भुज रेलवे स्टेशन पर एक रेस्तरां के मालिक हैं&comma; उन्होने बताया कि हम पिछले 40 वर्षों से परिवार के साथ भुज में रह रहे हैं। मैं माता-पिता और बहन के साथ संयुक्त परिवार में रहता हूं। अभी सरकारी नौकरी की भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। मेरे भुज रेलवे स्टेशन के बाहर 22 साल से एक रेस्टोरेंट भी है और मैं पिछले 4 साल से इस रेस्टोरेंट में बैठा हूं। मैं 20 दिसंबर को भुज-पुणे ट्रेन में अपने परिवार के एक सदस्य को लेने गया था। इस समय उसका सामान ले जाते समय मुझे ट्रेन की सीट के नीचे एक बटुआ मिला&comma; मैंने चारों ओर देखा और वहाँ कोई नहीं देखा।<&sol;p>&NewLine;

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